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मीराबाई के दोहे हिंदी अर्थ समेत – Meerabai ke Dohe or Pad with Meaning - Tridev

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  मीराबाई के दोहे हिंदी अर्थ समेत – Meerabai ke Dohe or Pad with Meaning Meerabai ke Dohe or Pad with Meaning in Hindi मीराबाई जिन्हें भगवान श्री कृष्ण की दीवानी के रूप में जाना जाता है। मीराबाई न सिर्फ एक मशहूर संत थी बल्कि कृष्ण भक्ति शाखा की मुख्य कवयित्री और भगवान श्री कृष्ण की अनन्य प्रेमिका थीं। आपको बता दें कि मीराबाई दुनिया के सबसे बड़े प्रेम स्वरूप श्री कृष्ण की सबसे बड़ी साधक थी। श्री कृष्ण से अत्याधिक प्रेम करने वाली मीरा को पूरा संसार कृष्णमय लगता था। उन्हें हर तरफ श्री कृष्ण ही दिखते थे अर्थात उनका रोम रोम कृष्ण-मय था। मीराबाई को श्री कृष्ण के अलावा और कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। उनका मन सिर्फ और सिर्फ संत-समागम, संगीत, भगवत चर्चा, कृष्ण लीला में ही लगता था। श्री कृष्ण की साधक मीराबाई को संसारिक मोह-माया से कोई लगाव नहीं था अर्थात वे हमेशा सांसारिक सुखों से दूर रहती थी। कृष्ण-दीवानी मीराबाई श्री कृष्ण के सुंदर स्वरूपों का वर्णन करते हुए कई सुंदर कविताओं की रचना भी की है। संत मीराबाई की श्री कृष्ण के प्रति उनका प्रेम और भक्ति, उनके द्वारा रचित कविताओं के पदों और छंदों मे साफ़

मीरा बाई की जीवनी - Mira Bai Biography in Hindi -Tridev

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  मीरा बाई जन्म : 1498, मेड़ता, राजस्थान मृत्यु : 1547 कार्यक्षेत्र : कवियित्री, महान कृष्ण भक्त मीरा बाई एक मध्यकालीन हिन्दू आध्यात्मिक कवियित्री और कृष्ण भक्त थीं। वे भक्ति आन्दोलन के सबसे लोकप्रिय भक्ति-संतों में एक थीं। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित उनके भजन आज भी उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हैं और श्रद्धा के साथ गाये जाते हैं। मीरा का जन्म राजस्थान के एक राजघराने में हुआ था। मीरा बाई के जीवन के बारे में तमाम पौराणिक कथाएँ और किवदंतियां प्रचलित हैं। ये सभी किवदंतियां मीराबाई के बहादुरी की कहानियां कहती हैं और उनके कृष्ण प्रेम और भक्ति को दर्शाती हैं। इनके माध्यम से यह भी पता चलता है की किस प्रकार से मीराबाई ने सामाजिक और पारिवारिक दस्तूरों का बहादुरी से मुकाबला किया और कृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति में लीन हो गयीं। उनके ससुराल पक्ष ने उनकी कृष्ण भक्ति को राजघराने के अनुकूल नहीं माना और समय-समय पर उनपर अत्याचार किये। भारतीय परंपरा में भगवान् कृष्ण के गुणगान में लिखी गई हजारों भक्तिपरक कविताओं का सम्बन्ध मीरा के साथ जोड़ा जाता है पर विद्वान ऐसा मानते हैं कि इनमें से कुछ कवितायेँ ही