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Showing posts from March, 2021

सूरदास जीवनी - Biography of Surdas in Hindi Jivani

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  सूरदास जीवनी - Biography of Surdas in Hindi Jivani सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गाँव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही  नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाद में ये आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में मतभेद है। प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में १५८० ईस्वी में हुई।  सूरदास का नाम कृष्ण भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सर्वोपरि है। हिंन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। हिंदी कविता कामिनी के इस कमनीय कांत ने हिंदी भाषा को समृद्ध करने में जो योगदान दिया है, वह अद्वितीय है। सूरदास हिंन

Tulshi Das - तुलसीदास (Life Biography)

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  तुलसीदास गोस्वामी तुलसीदास  (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान  सन्त   कवि  थे।  रामचरितमानस  इनका गौरव ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य  रामायण  के रचयिता महर्षि  वाल्मीकि  का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस  का कथानक  रामायण  से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद  विनय पत्रिका  उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया। अनुक्रम 1 जन्म 2 बचपन 3 भगवान श्री राम जी से भेंट 4 संस्कृत में पद्य-रचना 5 रामचरितमानस की रचना 6 मृत्यु 7 तुलसी-स्तवन 8 रचनाएँ 8.1 कुछ ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण 8.1.1 रामललानहछू 8.1.2 वैराग्य संदीपनी 8.1.3 बरवै रामायण 8.1.4 पार्वती-मंगल 8.1.5 जानकी-मंगल 8.1.6 रामाज्ञा प्रश्न 8.1.7 दोहावली 8.1.8 कवितावली 8.1.9 गीतावली 8.1.10 श्रीकृष्ण गीतावली 8.1.11 हनुमानबाहुक जन्म गोस्वामी तुलसीदास का जन्म स्थान विवादित है। कुछ लोग मानते हैं की इनका जन्म  सोरों  शूकरक्षेत्र, वर्तमान में  कासगंज  (एटा)  उत्तर प्रदेश  में हुआ

Munshi Premchand

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  प्रेमचंद(Prem Chand) धनपत राय श्रीवास्तव  (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो  प्रेमचंद   [mʊnʃiː preːm t͡ʃənd̪]    (   सुनें )  नाम से जाने जाते हैं, वो  हिन्दी  और  उर्दू  के सर्वाधिक लोकप्रिय  उपन्यासकार ,  कहानीकार  एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिंदी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिंदी समाचार पत्र  जागरण  तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बंद करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध, साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहा